Tuesday, November 18, 2025

Modern Warfare, Pros and Cons 25

 सामांतर घड़ाईयाँ (Social Tales of Social Engineering) क्या हैं? 

ये राजनीतिक पार्टियाँ क्यों घड़ती हैं ये सामांतर घड़ाईयाँ? क्या फायदा है, इन्हें ऐसा करके?  

ये समाज को कंट्रोल करने का बहुत बड़ा हथियार है। कोई भी सामांतर घड़ाई तब तक नहीं घड़ी जा सकती है, जब तक उन लोगों या उस समाज या सिस्टम के बारे में अच्छी खासी जानकारी ना हो। जानकारी जितनी ज्यादा सही होगी, उतना ही किसी भी सामांतर घड़ाई को घड़ना आसान होगा। और उतना ही रोकना भी। निर्भर करता है, की आप घड़ने वालों में हैं या रोकने वालों में? 

सामांतर घड़ाई का मतलब जरुरी नहीं सच घड़ना ही हो। सच जैसा या हूबहू जैसा लगे, दिखाना या समझाना है। राजनीतिक पार्टियों की अपनी जरुरतों के अनुसार, घटा बढ़ा कर। अब वो कितना सच या झूठ है? या बिलकुल ही नया घड़ा (सिंथेसिस) गया है, ये कैसे पता चले? जैसे किसी आईने में अगर आप देखें, तो आपका प्रतिबिम्ब दिखाई दे। अब वो प्रतिबिम्ब बिलकुल वैसा दिखा रहा है, जैसे आप हैं या उसमें हेरफेर कर रहा है, ये कैसे पता चला? बहुत मुश्किल भी नहीं है शायद? अगर आप वो इंसान हैं, जिन्हें आईनों के प्रकार नहीं पता, तो भी ज्यादा हेरफेर होने पर तो ये फर्क पहचान ही सकते हैं। लेकिन, थोड़ा बेहतर जानने के लिए, ये पता होना चाहिए की आप किस प्रकार के आईने के सामने खड़े होकर अपना प्रतिबिम्ब देख रहे हैं। ऐसा-सा ही हमारे आज के सिंथेटिक जहाँ पे लागू होता है। जिसको समझना आम इंसान के लिए उतना आसान नहीं होगा, जितना उस synthesis के तौर-तरीकों को समझने वाले के लिए होगा। ऐसे ही जैसे, कोई भी हूबहू-सी दिखने वाली बीमारी या मौत कौन पैदा कर सकता है? वही, जिन्हें उस तरह की बीमारी या मौत के बारे में जितनी ज्यादा जानकारी होगी? कोरोना काल की बिमारियों और मौतों को और उनके तरीकों को अगर हम जानना, समझना शुरु कर दें, तो शायद बहुत कुछ समझ आएगा। और आपने खुद या आपके आसपास ने ऐसा कुछ झेला हो तो? ये सब समझना थोड़ा और आसान हो जाएगा। 

जानने की कोशिश करें थोड़ा, विटिलिगो (vitiligo) के उदहारण से ही? 

या शायद लकवा, हार्ट अटैक, बुखार, Diabetes, Multi organ failure, cancer, stone problem आदि से? क्यूँकि, इस दौरान ऐसा-सा कुछ मैंने या तो खुद कहीं न कहीं भुगता है या आसपास में किसी न किसी को भुगतते देखा है। क्या सच में ये बिमारियाँ थी या हैं इन लोगों को? या इन बिमारियों का या किसी भी बीमारी का सच क्या है? ये सिंथेसिस वाले बेहतर बता पाएँगे या डॉक्टर, वैज्ञानिक, प्रोफेसर आदि? या शायद खुद वो इंसान, जिसने ऐसा कुछ भुगता हो और थोड़ी-बहुत इन सबकी जानकारी भी हो?         

Stone Problem? नहीं थी मगर फिर भी so-called डॉक्टर की मानती तो? March 2020 

Blood Pressure Problem? ना थी, ना है। फिर वो swelling, headache, vomitting वाले symptoms क्या थे? Ram Rahim saga time और घर? H# 30, Type-4? कौन से वाले सिंथेटिक एक्सपेरिमेंट्स चल रहे थे वहाँ? 

Drugs M.Tech स्टूडेंट प्रॉब्लम या H#29 लेबर ड्रामे? 

या 5G या 6G Steroid problem? 

या शायद शिव-धतूरा? यूनिवर्सिटी के H#29 से H# 31 और फिर अंकल के घर गाँव में कैसे पहुँचा ये पौधा? कहाँ से आता है ये वाला माली? रोहतक? यूनिवर्सिटी? या? 

Office tea? या सोडा मिल्क? ये क्या होता है? है ना दुनिया अजब-गजब?  

Boss water pump? Cooler? 

या AC LG और vitiligo? 

पागल कुत्तों या गुंडों या हत्यारों की कौन-सी दुनियाँ है ये? 

चलो, ज्यादा बिमारियों पे नहीं जाते। क्यूँकि, हर एक बीमारी पे जाने कितनी सारी कहानियाँ हैं, यहाँ-वहाँ। और वो सब कहानियाँ या सामांतर घड़ाईयाँ मिलकर, कोई और ही तरह के कांडों की सैर करवाती हैं। अभी सिर्फ विटिलिगो (vitiligo) की सामांतर घड़ाई की सैर पर चलेंगे। 

Modern Warfare, Pros and Cons 24

 ज्यादा 5, 7 मत कर, 9, 2, 11 कर दूँगी। पढ़ा था कहीं?

और फिर ये मूवी जाने कहाँ से यूट्यूब पर आ टपकी। 

देखी थी मैंने?



पता नहीं कहाँ कैसे और किन लोगों के झगड़े, आपकी ज़िंदगी को भी लपेटते जाते हैं? होता है ऐसे, आम लोगों के साथ भी? शायद? जैसे साँड़ों के बीच में झाड़। और जाने कौन लोग या कौन, कौन आपकी ज़िंदगी की ठेकेदारी लेने लगते हैं? जिम्मेदारी और ठेकेदारी में इतना ही अंतर होता है, जितना दिन और रात में? इस लड़ाई में लगे लोगों का अहम टारगेट लड़कियाँ होती हैं? इधर भी और उधर भी? जाने कौन, किसको अपने भाई या दोस्त के लिए पसंद है और कौन, किसको कहाँ फिट करना चाहते हैं या कहीं और धकेलना चाहते हैं? कुछ लड़कियाँ वक़्त रहते इन भद्दे जालों से निकल पाती हैं। और कुछ? वक़्त के साथ, ज्यादा और ज्यादा शिकार। ऐसा क्यों? पढ़ी, लिखे और समझदार आसपास का और कम पढ़े लिखे, ज्यादातर गाँव तक सिमित आसपास का बहुत फर्क होता है? पढ़े लिखे लोग, उन लड़कियों को साथ लेकर चलते हैं। लड़कियों के निर्णयों का सम्मान करते हैं और हर कदम पर उनके साथ खड़े होते हैं। कम पढ़े लिखे, ज्यादातर गाँव तक सिमित लोगों के यहाँ इसका उल्टा होता है। वहाँ इन so called अपनों को बीच में इसलिए लिया जाता है, ताकी अपने टारगेट का सफाया आसानी से किया जा सके। तरीके जिसके हज़ारों हैं। छुपम छुपाई खेलना उसका अहम हिस्सा है। उसपे कहीं इन लोगों को कुत्तों के टुकड़ों की तरह लालच के छोटे-मोटे टुकड़े डाले जाते हैं, तो कहीं, किन्हीं तरह के दबाव या डर दिए जाते हैं। सबसे बड़ी बात, इन आसपास वालों को बीच में कब लिया जाता है? सालों, दशकों बाद, जब कोई लड़की इन कांड़ों को पब्लिक करने लगती है।            

2010 में कोई काँड होता है, जिसे ऑफिसियल भागीदारी का काँड बोलते हैं? ऑफिसियल भागीदारी? उस जगह भी, जहाँ कोई लड़की पढ़ाती है? और किन्हीं कोर्ट्स या सुप्रीम कोर्ट की भी? ये सब खुद उस लड़की को तब पता चलने लगता है, जब राजनितिक पार्टियाँ एक दूसरे पर कीचड़ उछालते हुए, एक दूसरे के काँड बाहर निकालती हैं। वो लड़की जब प्रश्न करने लगती है, तो कहीं से ठोस डॉक्युमेंट्स मिलते हैं और कहीं लोग भगौडे होने लगने हैं। कुछ उन डॉक्युमेंट्स को किसी भी कीमत पर बाहर नहीं आने देना चाहते। कुछ उन डॉक्युमेंट्स को, जो पब्लिक होने चाहिए, पब्लिक करने वालों की जान के दुश्मन हो जाते हैं। 

ऐसा क्या है, उन डॉक्युमेंट्स में? हमारे समाज का, उसकी भद्दी राजनीती का और उनके बनाए सिस्टम की पोलखोल का काम हैं वो डॉक्युमेंट्स। जो कहीं न कहीं इसका ठोस सबूत हैं, की जन्म से लेकर मर्त्यु तक, कैसे बड़ी-बड़ी कंपनियों और राजनीतिक पार्टियों ने लोगों को जुए में धकेला हुआ है। जिसमें गोटी के जैसे, हर इंसान पर दाँव है, वो आम इंसान तक, चाहे जिसके पास ज़िंदगी को जीने के लिए आम सी सुविधाएँ तक ना हों। यही सिस्टम और राजनितिक पार्टियाँ उस आम इंसान तक को बिमारियों और मौतों तक धकेल रहा है। आपके भगवानों के जैसे कह रहा हो जैसे, चलो अगला नंबर तुम्हारा। क्यूँकि, तरह तरह के भगवान भी यही राजनीतिक पार्टियाँ और बड़ी बड़ी कम्पनियाँ घड रही है।   

Modern Warfare, Pros and Cons 23

 कई महीने पहले पढ़ी होगी ये पोस्ट आपने?


Release my saving to this day happenings

वो कौन से इलेक्शन थे, जब MDU Finance Officer ने बोला था की अभी इलेक्शंस चल रहे हैं, वहाँ व्यस्त हैं? रितु की मौत के आसपास कौन से इलेक्शंस चल रहे थे? 

उसके बाद से क्या चल रहा है? इलेक्शन ही चल रहे हैं। कभी ये राज्य और कभी वो राज्य और कभी लोकसभा? क्या बकवास है ये? 

बिहार इलेक्शंस?

बिहार के इलेक्शंस की preparation में बिहारी लोग हरि याना (?) के खेतों में धान उगाने आते हैं शायद? बारिश बहुत अच्छी होती है? और ये बिहार डूबता कब-कब है? बिहार या हरियाणा या पंजाब? या दिल्ली? या असम? ये साँग अपनी तो समझ से बाहर है। कुछ ज्यादा ही काम्प्लेक्स नहीं है? पॉलिटिकल पंडित क्या-क्या पढ़ते होंगे? जबसे रितु गई है, तबसे ही कहीं न कहीं इलेक्शंस चल रहे हैं। क्यों, पहले नहीं होते थे वो? होते होंगे, मगर मेरे forms के साथ शायद तब इतना घपला नहीं होता था। या शायद होता भी होगा, तो मुझे इतनी खबर नहीं थी। थोड़ी बहुत ही थी। एक बायो का इंसान कहाँ-कहाँ निपटे? पहले spelling mistakes इधर उधर, फिर शब्दों की हेरा फेरी। फिर कलाकारों ने emails के attachment ही बदल डाले। आपको पता ही ना चले की क्या का क्या हो रहा है? एक ऐसी ही हेराफेरी के बाद ही कोई plane crash हुआ था। जैसे कह रहे हों, की अब भी पकड़ना चाहोगे कोई फ्लाइट? थोड़ा रुककर आपने कहीं और भर दिया form । पता नहीं कैसी-कैसी चिड़िया दिखा रहे हैं और कैसे-कैसे एक्टिव, इनएक्टिव :( 

उससे भी बड़ी हद तो जब हो गई, जब कहीं और अप्लाई करने की सोची। सिर्फ सोची? हाँ, मैं कई पोस्ट्स पर टिक मार्क लगाकर एक फ़ोल्डर बना देती हूँ कहीं। और इन कलाकारों को पता होता है की इनमें से ही किसी पे अप्लाई करेगी। किसी पोस्ट पर मुझे लगा की मैंने अप्लाई ही नहीं किया। और ये क्या? इन कलाकारों ने अप्लाई दिखा दिया? ये तो जब न्यूज़ चली की फॉर्म अपने आप भरे जा रहे हैं और उनमें ऐसा-ऐसा हो रहा है सुना, तब दिमाग की बत्ती ने काम किया। अच्छा? डाउनलोड तो कर इन्होने वहाँ CV या Cover लैटर के नाम पर भरा क्या है? उफ़। किसी स्कूल में चपड़ासी की भी पोस्ट ना मिले। 

फिर सोचा चल तब तक आसपास ही कहीं प्रोजेक्ट ले ले। वो तो मिल ही जाएगा। लो जी। लेकर तो दिखाओ। वो वेबसाइट ही नहीं खुलने दे रहे। या उलटी पुलटी तारीख दिखा रहे हैं। कौन-सी दुनियाँ है ये? जो नौकरी थी, ना वो करने दी। ना कहीं सेलेक्ट होने देंगे। और ना ही खुद का कोई काम करने देंगे। ऐसे तो कब तक जियेगा कोई? गुंडागर्दी की सब हदें, सब सीमाएँ पार। 

इन्हीं को इलेक्शंस कहते हैं क्या? अगर हाँ, तो खुल के बात करो। क्यों कोढ़ म कोढ़ लगे हुए हो और जनता का भी फद्दू काट रहे हो? अरे नितीश बाबू, प्रशांत जी ये आपके राज्य में चल क्या रहा है?   

इस सबसे कोई बीमारी भी निकलती है क्या? कुछ भी? ये 2020 में फिजियोलॉजी में नोबल प्राइज किसे मिला था? कौन सी यूनिवर्सिटी? कहाँ?    

कौन सी बीमारी?

Hepatitus C और Liver का आपस में कोई लेना-देना है? और जिसको उस दिन कोई बीमारी बताई, उसका? उफ़। कौन-सी दुनियाँ है?

कहाँ का कहाँ, क्या कुछ मिलता जुलता सा है? पहले भी यहाँ-वहाँ के इलेक्शंस में ऐसा-सा ही कुछ चलता बताया? हमारी भोली-भाली जनता को इस सबको समझने की जरुरत है। 

Modern Warfare, Pros and Cons 22

 Border Issues or Neighbourly issues?

Or interactions or wars or hypes or underrated issues?

युद्ध और बीमारी ? एक ही बात हैं?

या किसी पर अचानक हमला या धीरे-धीरे छुपे रुस्तम से, बिना दिखे या समझ आए, खोखला करना?

या और भी कितने ही तरीके हो सकते हैं?    

Burn?

out?

Burnout? 

Acid Attacks?

Acidify?

Acidified?

और भी कितनी ही तरह के नाम हो सकते हैं, मिलते-जुलते से, किसी बीमारी को या उसके लक्षणों को पहचानने के? बताने के? और बचने के या बचाने के?  ये हर बीमारी पर, हर तरह के लड़ाई झगड़े पर और हर तरह के हमले पर लागू होता है। 

जब इस बीमारी से पहली बार आमना सामना हुआ या पता चला की ऐसा कुछ शुरु हो चुका है तो मैं यूनिवर्सिटी रही थी (2018?)। H#30, Type-4   शायद इसके इंगलिश version से हम थोड़ा बेहतर समझ पाएँ? 

H# 3 0     

T Y P E - 4 

रौचक लग रहा है?

M D U 

R O H  T A K 

124001 

at place 1?

1 =1 

2 =2 

3 =4 

4 =0 

5 =0 

6 =1 

शायद किसी पार्टी का कोढ़?

इस घर के एक तरफ H # 29, TYPE- 4 

और दूसरी तरफ? H # 31, TYPE- 4 

आगे? T - POINT  (one side small portion part only)

पीछे? Rose Garden

Type 29 खाली था, Professor Gulshan Taneja, Math ने किया था, मेरे H#30, Type-4 में जाने के कुछ महीनों बाद ही। जो बाद में यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार भी बने और अब शायद रिटायर हो चुके। 

H # 31, TYPE- 4 Professor Renu, Geography. उन्होंने भी मेरे Resignation के एक या 2 साल बाद खाली कर दिया था? शायद अपना खुद का घर कहीं आसपास ही बना लिया था। 

T - POINT के दोनों तरफ के मकानों में कौन-कौन थे? और T- POINT जहाँ खत्म हो रहा था, वहाँ 9J- TYPE में? 

चलो इतना दूर नहीं जाते। सिर्फ, आजू, बाजू या आगे, पीछे को जाने? या शायद पीछे या आगे, आजू या बाजू के सिर्फ पेड़-पौधों को ?     

पेड़-पौधों को ही क्यों?

अगर आप MDU के उस खास पते पर हैं, तो पेड़-पौधे? खासकर, H #29 की आगे की दिवार के साथ उगाया हुआ ये पौधा?  

ये तो जैसे कोई केमिकल छिड़का हुआ है किसी ने? 

और मदीना आ गए, अपने पड़ दादा के खँडहर में तो?  

इंसानों, कुत्तों और बाकी जानवरों को भी?

इंसान, कुत्ते, गाएँ, गधे, साँड़ अभी आसपास दिखाई नहीं दे रहे। आएँगे तो फोटो लगेंगी उनकी।     


और इसके बाद जो पता बदलने वाला है, वहाँ गए तो? वैसे कौन सा पता होगा? अभी पता नहीं :) मगर इतना पता है अब और ज्यादा वक़्त इस खंडहर में तो नहीं रहना।  

एक पता बदलने से ही किसी भी बीमारी का क्या कुछ बदल जाता है?

वो कम हो जाती है? या बढ़ जाती है?

जहाँ है, वहीँ रुक जाती है या खत्म ही हो जाती है?

निर्भर करता है, की पता बदलने से उस बीमारी को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक या कारण बदल जाते हैं?

Break down the process or methodology in steps to that last point you can. And check the contributing factors or factors which act as hurdles or stoppers in those contributing factors. 

बस इतनी-सी बात? माहौल या सिस्टम बहुत कुछ बदलता है? तो शायद किसी भी बीमारी के ईलाज के लिए या रोकथाम के लिए, इस माहौल या सिस्टम और इनके राजनीतिक कोढों को जानना बहुत जरुरी है। और ये ना सिर्फ हर बीमारी पर लागू होता है, बल्की, आपके घर की खुशहाली या बदहाली पर भी। आपके रिश्तों में मिठास या कड़वाहट पर भी। आपके आगे बढ़ने या पीछे खदेड़े जाने की कोशिशों पर भी। 

Vitiligo पर आगे भी आपको काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा। शायद कुछ लोगों को उसका थोड़ा बहुत फायदा भी हो।  

इसके साथ-साथ कुछ और बीमारियाँ हैं आसपास, जिन्होंने, इस कोढ़ सिस्टम के बारे में कहीं ज्यादा समझाया या बताया है शायद।  आएँगे आगे कहीं पोस्ट्स में, उनपर भी।   

Modern Warfare, Pros and Cons 21

विटिलिगो (vitiligo) की सामांतर घड़ाई की सैर पर चलें?

It's too painful, too stressful, even talking about too manipulative ways of this synthesis and its effects. 

Synthesis?

But why synthesis? Upto what extent anyone can do synthesis in a time gap period of 15-20 years? Or in some cases maybe even more? How much people remember or better to say care to remember after such a long period? That's also those people, who were harmful in any way or obstacles in life? And importantly, after some time, one has not even any kinda interactions there. Rather should say, willingly avoided some. Even hated some. But yes, computers do remember. You can synthesize so much there and can aaply that in real life. Right? That's what data collectors and its users or abusers are doing around the world?

What about social synthesis? Social engineering? 

Have already gone too far? Especially for the sake of forensic or in a try to get some special results? Or say, to create some specific codes or numbers to get some chairs? And they say, humans, especially common people are just collateral damage in such wars.   

Not so educated people, still do not know abc about that. They are still in their own world of geeta-gyan or Ramayan, Mahabharat. Rather should say, it's an entirely different world than this world, which has gone in the direction of robotic synthesis and kinda robotic control over population. And what about ways of synthesis? At times seems, so simple, that difficult to believe that things can happen even like that? And at times, so complex, that one can only wonder, how it has been managed? And what kinda impact such synthesis could have on those people's lives on whom it has been experimented? Who cares? At times life threatening? At times, even suicide or so-called deaths? What kinda society, these people are engineering? Are there any challengers to them? Sure, all officers around the world are not of criminal mindset. Maybe only few percent? Wonder, if all officers around the world, even know about such things or synthesis? Then they maybe civilians or defence. 

Beyond this higher strata of sociaty, should not people in other strata of society know about such social engineering? As such things are impacting worse lower stratas of society. They have neither this knowledge, nor resources to deal with the harmful effects of such social engineering by these gamblers. 

Real life case studies of any social level, can throw a light on that knowledge better. So first such case study is vitiligo. As you can talk and explain better what you are experiencing yourself, and on that have little bit knowledge of that field also.

In university, I have not seen many cases with vitiligo. Maybe one or two, but with single patch or on some restricted part of body, even after many years. 

Personal experience of vitiligo says"It's nothing but acidic attacks by harmful chemicals, some stress and literal burns." 

Literal burns? But doctors and patients of this disease talk something else. Like?

इसमें कोई दर्द नहीं होता? कितना सच है इसमें? 

इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं? बिलकुल झूठ? 


और 

डॉक्टर जो दवाई देते हैं, वो इसे घटाती है या बढाती हैं?    

इससे बचने के तरीके क्या हैं?

और होने पर सही ईलाज या आगे बढ़ने से रोकने के तरीके क्या हैं?

क्या इसे रिवर्स गियर पे रखा जा सकता है? या बिलकुल ठीक किया जा सकता है? ऐसा हुआ तो कई सारी और ऐसी-सी या इससे जुड़ी बिमारियों के ईलाज भी संभव हो जाएँगे। जैसे बालों का सफ़ेद होना। जैसे त्वचा कैंसर की रोकथाम? जैसे त्वचा या पिग्मेंट से सम्बंधित और कई तरह की बिमारियाँ?   

जानने की कोशिश करें? आगे पोस्ट में।  

Modern Warfare, Pros and Cons 20

 सफ़ेद युद्ध? या सफ़ेद के खिलाफ युद्ध?  सुना जैसे कहीं, "घणी धोली सै तू? आजा तैने धोली बनाऊँ।"  

Deteriorating? Depreciating? Diminishing? Disparaging? Or Belittling something?

Like?      


Your system is talking to you? 

Do you wanna talk, interact or ignore? 

What do you wanna talk? 

Where do you wanna interact? 

Or whom or what you wanna ignore?

चलो पीछे पोस्ट में लिखा था की कुछ खास तरह के जानवर जब सामने आएँगे तो उनकी फोटो लेकर यहाँ लगाऊँगी। 





आसपास और भी ऐसे से कई तरह के जानवर हैं। 
जिनमें इंसान भी हैं। 
मतलब?

सिस्टम सिर्फ कुछ कह नहीं रहा, बल्की, दहाड़ रहा हो जैसे?
कैसे? 
अभी इन्हें निहारो। 
ये हमारे खास स्कूल के साथ के जीव हैं? और मुझे लगा ये घरों के आसपास ही दिखते हैं? मतलब, यहाँ खेतों के जमीन और पानी भी जहर हैं? पर इस स्कूल के आसपास तो मीठा पानी है। फिर ऐसा क्या खाते पीते हैं ये? या कैसी हवा या मिट्टी में रहते हैं?    
 

आगे और फोटो से शायद कुछ समझ आए?

Modern Warfare, Pros and Cons 19

 White and Grey warfare?

Or White and Black warfare?

Both one and same thing or different?

सोचो की ये क्या है? और आप इसे कहाँ-कहाँ और किस या कैसे-कैसे रुप में देख, सुन या समझ पा रहे हैं? बिहार इलेक्शन का इन सबसे क्या लेना देना? या कहीं के भी इलेक्शन से? सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्की, बाहर भी?   

Modern Warfare, Pros and Cons 18

 Elections and Manufacturing Factory?

Climate change, Environment changes and manipulations?

Diseases and Deaths?

During these "so called elections of Bihar", I have seen this manufacturing factory so closely in so many forms.

आप एक ऐसे सिस्टम का हिस्सा है या उसे झेल रहे हैं, जिसके पास लाखों, करोड़ों रूपए कृत्रिम बारिश, बाढ़ या गर्मी बरसाने के लिए जैसे फालतू पड़े हुए हैं? क्यूँकि, उस सिस्टम को या वहाँ की जुआरी राजनीती को, कुर्सियाँ पाने के लिए hype घड़ने हैं? या फिर छल कपट (manipulation), कहीं कहीं तो हद से ज्यादा छल कपट वाले तथ्य पेश करने हैं? छल कपट में हकीकत को जानना पहचाना कितना आसान या मुश्किल होगा, ये इस पर निर्भर करता है, की आपको कितना ऐसे लोगों के छल कपट वाले तरीकों का पता है? 

Interactions और किस्से कहानियों से ये बड़े सही से समझ आता है। जैसे अगर दो गाड़ियों और किसी खास वक़्त या तारीख को उनकी पोजीशन की ही बात करें? उस नौटँकी को घड़ने वालों के अनुसार, वहाँ भविष्य क्या है? जीरो या ख़त्म? या इससे आगे भी कुछ बचता है? रायगढ़ दरबार में आपका स्वागत है? या रायसीना हिल्स? या? अब इस या का जवाब आपको पता होना चाहिए, जिन्हें अपना या अपने आसपास का भविष्य घड़ना है? या उसे कोई रास्ता दिखाना है? या जीरो या ख़त्म कहने वालों या घड़ने की कोशिश करने वालों पर छोड़ देना है?  

मैंने यहाँ दो तरह के लोग देखे हैं। एक जिनके बच्चे नालायक, महानालायक। वो जिन्हें कहते हैं, की मेरा बेटा तै पानी का गिलास भी खुद लेके ना पीवै, जैसे ये उनकी तारीफ हो?  बुरे से बुरे जुर्मों के रचयिता और भुक्त भोगी भी, जिन्होंने हत्या जैसे केसों तक में जेल भुक्ति हो या भुगत रहे हों। मगर फिर भी उनके तारीफ़ के पूल बाँधते मिलेंगे। ऐसे गा रहे होंगे जैसे उनका भविष्य तो बहुत उज्जवल है। 

दूसरे, ऐसे आसपास को देखते हुए जिनके बच्चे हज़ार गुना अच्छे हों, मगर उन बेचारों को कभी उनमें कोई अच्छाई नज़र ही नहीं आती? ऐसे रो रहे होंगे जैसे इनका तो भविष्य ही ख़त्म। 

ये narratives कहीं न कहीं दिशा निर्धारित करने का काम करते हैं। खासकर, जब ऐसा सुनने के आदि बच्चे, ये सब मानना शुरू कर दें। किसी भी तथ्य या छल कपट तक की घड़ाई को मान लेना या लगातार सुनते रहना दिमाग पर असर छोड़ता है। अब वो असर कितना नगण्य या ठोस है, ये उसको मानने या न मानने वाले पर निर्भर करता है। 

तो अगर आप अपने बच्चों या आसपास को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं तो उन्हें वही बोलें, जो उनके आगे बढ़ने या बढ़ाने में सहायक हो। नहीं तो जाने अंजाने आप खुद उनके जीवन का एक रोड़ा हैं। कोई भी माहौल यही काम करता है। वो या तो आगे बढ़ाता है या पीछे धकेलता है। माहौल या संगत को ऐसे ही नहीं गाते समझदार लोग। आपके ना चाहते हुए भी अगर आपके आसपास काँटे ही काँटे हों या काँटों भरे पथ पर चल रहे हैं और उनसे सुरक्षा का कोई इंतजाम आपने नहीं किया हुआ, तो काँटों का काम है चुभना और वो चुभेंगे। जैसे फूलों के पथ पर अगर नंगे पाँव भी चल दोगे, तो वो कोई दर्द नहीं देने वाले। मगर ऐसा काँटों वाले पथ पर करोगे, तो लहू लुहान हो जाओगे। हर तरह के माहौल का अपना असर होता है, जिसे वो अपने आसपास परोसे बिना नहीं रहता।  जुबाँ भी उसी में से एक है। वो कुछ नैरेटिव कहती है। और उन नैरेटिव के अपनी ही तरह के असर होते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ माहौल भी घड़ती हैं और नैरेटिव भी। उनके नंबरों के जितने ज्यादा दाँव आपके आसपास हों, वो उतना ही ज्यादा बुरा या भला घड़ती हैं। उनके बूरे प्रभावों से बचने के तरीकों में अहम है, उनको ज्यादा से ज्यादा जानना और बुरे से बचने के रस्ते निकलना।              

Climate change, Environment changes या manipulations? किनके पैसों से होता है? आपकी जानकारी या इज्जाजत के बिना, ऐसा करने वालों के खिलाफ कौन से कोर्ट हैं? हैं क्या कहीं? खासकर, किसी भी देश की सरकार या राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ? शायद अभी तक तो नहीं? होने नहीं चाहिएँ? ये आगे किसी पोस्ट में।  

ऐसे ही शायद सिंथेटिक बिमारियाँ और मौतें तक परोसने वालों के खिलाफ। नहीं?          

Friday, November 14, 2025

Modern Warfare, Pros and Cons 17

 Human Robotics Processing, Time Machine

अलग-अलग जगह और अलग-अलग समाज में रहे लोगों की, अकसर सोच भी अलग होती है। कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे, किसी डॉक्टर या वैद्य की या दोनों को जानने वालों की। या इनके बारे में कुछ भी ना जानने वालों की। ऐसे ही जैसे, किसी दादी, माँ या बहन की। खासकर तब, जब उनकी पीढ़ी रही ही अलग जगह हों। या थोड़े अलग अलग माहौल में।    

जैसे विटिलिगो या ऐसी सी दिखने वाली ही कोई बीमारी लेते हैं। 

Futureskills? Project-or?

Nirgundi? Or? Ni Rg UN di? Or?

Vitiligo? Plant?

Vitiligo? animal/s?  

Too much?

समझ नहीं आया? ऐ कुछ भी जोड़ देना और वो भी कहीं का भी और कहीं से भी और फिर कहना की ये सब कहीं न कहीं मिलते जुलते हैं। शायद हाँ? और शायद ना?

Age started talking to you. 

It must. It talks to each and everyone. Only difference is different people talk to it differently. Experience and feel it differently. Relate and correlate differently.  

The one you are experiencing is age or village?

I guess both. It seems I am in PU, Chandigarh (2011?), doing my refresher course under some Human Robotics Processing, Time Machine. Course Coordinator Jayanti mam, asked me to make some assignment or project on Geriatric.  

What's that?

Even I heard that word first time, there. After that it was in 2018, September Psycho Visit and I stayed there during day time in Room No 7(?) Geriatric Room.? And amazing painting on walls of that room. Amazing light and bathroom? I clicked them all and said to the doctor there, I cannot stay here. During night, I will go back to my home (University residence then, MDU). 

Stay just today. You can go back tomorrow.

And I said, no. I cannot stay here.

OK. I have to ask senior doctor.

Detail "Veerbhan Lab Case and Psycho Control" में पढ़ सकते हैं 


उससे आगे?

 

जानने की कोशिश करते हैं आगे, की ये Aging या Geriatric और Human Robotics Processing, Time Machine क्या है? और इस सबका आजकल जो घट रहा है या ख़बरों में चल रहा है, उस सबसे कोई लेना देना है क्या?   

और ये Blink क्या है? कोई किताब दी गई थी उस Refresher Course के बाद। कोई खास नहीं पढ़ी। बस ऐसे ही कुछ पेज पलटकर रख दी। अभी ऐसा कुछ कहीं आते जाते पढ़ा तो जाने क्यों लगा, शायद तो पढ़ाया गया? और भी काफी कुछ हुआ इन पिछले कुछ दिनों। जैसे कोई ड्राफ्टेड और क्राफ्टेड module चल रहे हों, इस या उस पार्टी के?  

किसी एक हादसे या फ्रॉड को राजनीतिक पार्टियाँ सालों-साल या दशकों बाद भी कितनी तरह से घड़ सकती हैं? सबसे बड़ी बात जिनपे घड़ा जा रहा होता है, उन्हें खबर तक नहीं होती है की ये सब अपने आप नहीं हो रहा, बल्की, घड़ा जा रहा है।   

Monday, November 10, 2025

Modern Warfare, Pros and Cons 16

 उन दिनों पैनड्राइव बड़ी गुल होती थी। कभी एयरपोर्ट से, तो कभी बैग से और कभी-कभी तो घर की स्टडी टेबल तक से। और मुझे लगता था, की ऐसे ही कहीं गिर गई होगी। फिर एक दिन घर पर (H # 16, Type-3) कुछ हुआ मिला लैपटॉप के साथ। घर को देखकर ऐसा लगा, जैसे कोई घुसा हो। कुछ एक चीज़ें वहाँ नहीं थी, जहाँ वो अकसर होती थी। कुछ एक collegues को साथ लेकर VC को शिकायत की और सुनने को मिला, "भूत आ गए होंगे, हवन करा लो"। "कल को तुम कहोगे मुझे अपने लैपटॉप पर ख़ून के छींटे पड़े मिले"। और ब्लाह, ब्लाह। और आप सोचें, ये इंसान सच में VC है क्या? कहाँ से उठकर आया है? 2012 या 2013, कब की बात है ये? एक अरसा हो गया जैसे। उसके बाद तो पता ही नहीं, और क्या कुछ देखा, सुना या समझ आया। वो दुनियाँ ही कोई और थी। 

जब गाँव आई, तो बहुत सी चीज़ें या कहो की ड्रामे जैसे अपने आपको उस वक़्त के आसपास दोहरा रहे थे। और आपको लगे, ये सच में कितने बच्चे हैं या कहो की अनभिज्ञ हैं। दुनियाँ वहाँ से कहाँ जा चुकी? अब कितना कुछ, कितना खुले आम पढ़ने, देखने और सुनने को मिल रहा है। मगर इनके जैसे आँख, कान और दिमाग आज तक भी सब बँध हैं। कुछ-कुछ ऐसे, जैसे, कहीं कोई पत्रकार लिखे की "बिहार में कुछ खास नहीं बदलता, बस वहाँ की राजनीती बदलती है"। ये बिहार शायद हर वो तबका या समाज है, जो आज भी उतना शिक्षित नहीं है, जितना उसे होना चाहिए। और ऐसी जगहों की राजनीती ऐसा चाहती भी नहीं। नहीं तो फिर वो चोर-उचक्के ना बनाएँ। सुबह-सुबह उठते ही जैसे मुँह हग दौरे (गाली गलौच) ना बने। बिन सोचे समझे दिमाग की बजाय हाथ, पैर उठाने या चलाने वाले ना बनाएँ। फिर लाठी, डंडा, गोली बुल्लेट तो बहुत दूर की बला हैं। कितना आसान होता है ऐसे कमजोर, असुरक्षित और दिमाग से पैदल लोगों को अपने अनुसार घड़ना। Human Robotics के सबसे आसान दाँव-पेंच शायद ऐसी जगहों पर, सबसे आसानी से समझ आते हैं? 

सोचो, बिमारियों की घड़ाई भी इतनी ही आसान हो? और मौतों की भी कहानियाँ ऐसी-सी ही? इसका मतलब?

जिन्हें ये घड़ाईयाँ इतनी आसानी से आती हैं, उनके पास इन बिमारियों के ईलाज भी इतने ही आसान से हैं? शायद हाँ? और शायद ना? निर्भर करता है, की ऐसा जानने वाले उस इंसान के सिस्टम या आसपास के माहौल को कितना बदल पाते हैं। और उस इंसान की बिमारी की स्टेज या उम्र क्या है। भला किसी आम इंसान के लिए इतना कौन करेगा? या करेंगे? हाँ, population level पर जरुर, ऐसा चाहने या करने वाले लोगों का असर हो सकता है। 

Modern Warfare, Pros and Cons 15

 Lock and Key Hypothesis and Human Robotics?


Broken locks and missing keys? Including password diary? With time, it became so common, like it doesn't matter. To some extent, I knew who and who did and when and why. I got clues here or there. 

Criminal minds used even kids in such things. Or should say abused? At tims, I willingly left some things open, just to check. With time, it became like, what's there so precious that you cannot get back? Or really these things are so important? But for whom? And why? We store or keep things certain way and most of times such people do not know about that. Even after so much surveillance? Or maybe they don't even care to put back things same way. It was interesting to know.

There are locks and keys in certain behaviour of people?

In creation of certain behaviours in people? 

In peace

In chaos

In directing and editing people's language, mood, what they talk. What they wear. 

In aggression

In normal behavior

In adultaion

In love

Name any behavior and these designers are able to simulate that in their desired coded people? Looking like too scifi? But it's happening in our real world, worldwide.

Depends a lot on what they listen, what they hear. What they watch and how they absorb subtle clues from surrounding. Just like food. Depends what they have been shown or allowed to listen and what had been hidden from them.

Can this lock and key hypothesis work the same way as a blacksmith?

Rather even beyond that? Like enzyme substrate model?

Sunday, November 9, 2025

Modern Warfare, Pros and Cons 14

Matrix? Your Vs  Their? 

Media is matrix?

Your matrix and their matrix?

Your matrix culture and their matrix culture?

सोचो कोई राजनीतिक पार्टी, कोई मैट्रिक्स तैयार कर रही है "बहनचो मैट्रिक्स"। नाम ही कितना गंदा है ना? किसी भद्दी गाली के जैसा? आपकी नज़र में है क्या ऐसी कोई पार्टी?

सुना है, वो ऐसा कुछ 2000 या शायद उससे भी पहले से कर रहे हैं? सच में? अगर सच में हाँ, तो क्या राजनीतिक पार्टियों के पास कोई ढंग के मुद्दे नहीं हैं क्या? 

सुना है की एक मूवी आई थी 2000 के आसपास, उसमें एक भारतीय दम्पति ने अपनी बच्ची को सती कर दिया। क्या? और ये बच्चियों को सती करने की परम्परा आज तक कायम है? पता नहीं। वो जानने के लिए 2021 की मैट्रिक्स देखनी पड़ेगी। 

आप सच की राजनीती के बारे में ऐसा सोचने लगे थे? नहीं, नहीं, मैं तो मैट्रिक्स मूवी की बात कर रही थी। Hollywood SciFi मूवी की एक सीरीज है। मूवी का सब हकीकत थोड़े ही होता है?

वैसे 2000 के आसपास ऐसा कुछ तो हुआ था, की किसी ने किसी भाई को बोला, I like blah, blah person. और वो so called भाई, थोड़ा उखड़ गया हो? जैसे, यही मिला पसंद करने को? और कुछ नहीं है आसपास? खैर! वो बच्चों के से वक़्त थे। आज की तरह hifi नहीं। हाँ। कोई Hi5 सोशल साइट जरुर आई थी, चिरकुट और फेसबुक से भी पहले? अब 2000 या 2005 की बातों के 2025 में भला क्या मायने हो सकते हैं? 

मगर सुना है, की राजनीतिक पार्टियाँ लोगों पर पैदाइशी ही स्टीकर चिपकाने के काम करती हैं? सच में? अब ये तो खुद राजनीतिक पार्टियाँ ही बता सकती हैं?

राजनीतिक पार्टियों ने so called intelligentia के साथ मिलकर, दुनियाँ भर में एक ऐसा सिस्टम बनाया हुआ है, जो इनके बनाए stickers को आपकी IDs के रुप में हर जगह, हर कदम और हर वक़्त साथ लेकर चलता है। कहाँ पर, कैसी पार्टी सत्ता में है, उसके अनुसार आप इन स्टीकरों की मार को झेलते हैं। वैसे सुना है, सत्ता के इलावा भी दूसरी राजनीतिक पार्टियाँ और उनका intelligentia, सत्ता से बाहर होने के बावजूद अपना असर रखता है। उसको समझने के लिए किसी भी तरह का मीडिया अहम भुमिका निभाता है। वो फिर चाहे खबरों के चैनल हों या सीरियल्स या मूवी। हाँ। आज के वक़्त में इंटरनेट सबसे शश्क्त माध्यम है। ये वो मीडिया या मैट्रिक्स है, जो आज की दुनियाँ को काफी हद तक अपने कब्ज़े में किए हुए है। वो भी ज्यादातर आपकी जानकारी के बिना।  

सुना है की कहीं, कहीं ये stickers काम नहीं भी करते? या शायद मिट भी जाते हैं? नहीं, नहीं, वो वाले नहीं, की आपने किसको पसंद किया, किसको किश या किसको मिस? वो वाले की, आपने कुछ खून तक किए और किसी ख़ूनी पार्टी का वक़्त आया, जब और ज्यादा खून हुए। आसपास के वक़्त में हुआ था, क्या ऐसा कुछ? कोरोना शायद? जाने कहाँ कहाँ किस किसकी और कैसे कैसे ऑक्सीजन ही ख़त्म हो गई? उसके बाद वो छुटके-मुटके स्टिकेर्स तो कायम रहे और लोगों को पता ही नहीं की ज़िंदगी की कैसी-कैसी सुविधाओं से हाथ तक धोने पड़े। कुछ का तो सुना है वो सब लूट लिया गया, जो उनकी पूरी ज़िंदगी की कमाई था। सच है क्या ये? हाँ। कुछ खूनियों को ऐसा कुछ बैठे-बिठाए इनाम में जरुर मिला? बैठे बिठाये? या उस ख़ूनी पार्टी के कुछ खास तरह के काम करने का ईनाम? वैसे ये खूनी पार्टी कोई एक ही पार्टी है? या हर पार्टी में नहीं तो, ज्यादातर पार्टियों का कुछ हिस्सा तो है ही?      

तो इससे क्या समझ आता है? की स्टिकेर्स भी आम लोगों पर ही काम करते हैं? वो फिर चाहे कैसे भी हों? अगर आपके पास सत्ता और सँसाधन हैं, तो जो जब चाहो, जगह, इंसान और अपने कुकर्मों के स्टिकेर्स तक बदल लो? नहीं, अगर सँसाधन और सत्ता है, तो जगह और इंसान भी बदलने की क्या जरुरत? गंगा ऐसे ही नहा जाओगे? मैट्रिक्स या मीडिया कल्चर बनाना और बिगड़ना तो संसाधनों का खेल है? मैट्रिक्स जैसी SciFi मूवी सीरीज़ तो सिर्फ समाज का कोई छोटा सा आईना भर दिखाती हैं? अब मूवी हैं तो बढ़ा चढ़ा मिर्च मसाला तो होगा ही। और उसपे SciFi हो, वो भी हॉलीवुड की? तो कहने ही क्या? शायद इसीलिए कहते हैं की SciFi देखना हो तो Hollywood और RomCom देखना हो तो Bollywood? 

इनसे आगे किसी की रुची अगर न्यूज़ चैनल्स की तरफ हो तो? उसके लिए भी शायद अमेरका की तरफ ही देखना पड़ेगा?

Sunday, November 2, 2025

Modren Warfare Pros and Cons 13

Deception? Trickery?  छलकपट? 

 Misconfiguration and Cloud Leak? क्या है ये? 

कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे पड़ोसियों ने आपके घर में सुरँग बना रखी हो, और  आपके घर का कीमती सामान साफ? या उसे हटाकर उसकी जगह कुछ और रख दें? अब ये पड़ोसी आपका साथ वाला घर भी हो सकता है और दुनिया के किसी और ही कोने में बैठा हुआ कोई इंसान भी। 

पीछे वाली पोस्ट में पढ़ा सिर्फ एक शब्द का अंतर क्या कुछ बदल देता है। 

अब मान लो, दो शब्द और बदल दिए 

एक आगे पीछे कर दिया 

Interest you 

से 

you interest 
  
 

 
 
और दूसरा?
 
Attached with this email 
से हो गया 
Denied with this email  
 
रौचक है ना? 
मगर वेबसाइट रिफ्रेश करो तो ईमेल वही है, जो मैंने भेझी हुई है।   
 
इस ईमेल के बाद आगे और भी रौचक है। 
आगे पोस्ट में  
 
बिहार इलेक्शन चल रहे हैं? ऐसे? 
 
और अब तक ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे कितने एलेक्शंस भुगत चुकी मैं?  
और आसपास? 
रिश्तों के, बिमारियों या केसों के, नौकरियों के, घरों-जमीनों के और जन्म-मरण तक के हेरफेर?   

इसी समाज में रहते हैं हम?   

Modren Warfare Pros and Cons 12

 Deception? Trickery?  छलकपट? 

 Misconfiguration and Cloud Leak? क्या है ये? 

कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे पड़ोसियों ने आपके घर में सुरँग बना रखी हो, और  आपके घर का कीमती सामान साफ? या उसे हटाकर उसकी जगह कुछ और रख दें? अब ये पड़ोसी आपका साथ वाला घर भी हो सकता है और दुनिया के किसी और ही कोने में बैठा हुआ कोई इंसान भी। 

या शायद कुछ ऐसा बिलकुल आपके सामने की अभी आपको राम की फोटो दिख रही है और अभी रावण की? या अभी कंस की और पलक भी नहीं झपकी की मोदी की या? किसी और की भी दिख सकती है? लेकिन असलियत में उस फोटो में है क्या? ये कैसे पता चले? या सच में कोई फोटो भी ऐसे छलकपट कर सकती है? रावण जैसे इंसानो का तो सुना था की कुछ भी भेष धारण करने की योग्यता थी उसमें। सिर्फ इंसान का ही भेष नहीं बल्की कोई भी जानवर, पक्षी वगरैह भी? सच है क्या? पता नहीं। कहानी ही होंगी सिर्फ? अब लेखकों का क्या है, कुछ भी घड़ दें? इंसानों के पँख लगा दें और वो उड़ने लग जाएँ? या घड़ियाली से अंग और वो जमीं और पानी दोनों में रहने लग जाएँ? या शायद पौधों के जैसा-सा chlorophyll पिग्मेंट सा रंग घड़ दें और सुरज की रौशनी से खाना बनाने की कला? अगर ऐसा होने लगे, तो नौकरी तो फिर कितने करेंगे? शायद करेँगे? घर और सुरक्षित माहौल तो फिर भी चाहिए?

मगर क्या हो की आप जिस किसी वेबसाइट पर अप्लाई करें, उस पर आपको सिर्फ आखिर तिथि ही नहीं बल्की नौकरी का नाम और कंडिशन्स तक कुछ और ही नजर आने लगें? एक दो बार तो लगेगा की शायद मुझसे ही धोखा हुआ होगा? मैंने ही ढंग से चैक नहीं किया होगा? मगर कितनी बार? और कौन कौन सी वेबसाइट पर?

मान लो आपने कहीं कोई ईमेल भेझी, जिसपे पहले से ही ऐसा कुछ लिखा हो, की यहाँ कर लो जॉइन। आपको लगे ये तो मस्त है। मगर फिर कहीं ईधर-उधर से कुछ और भी पढ़ने सुनने को मिले? और आपको लगे शायद कुछ गड़बड़ है? अभी आप सोच ही रहे हों और कुछ ऐसा सा दिखने लगे जैसे? 

मान लो मैंने ऐसा कुछ लिखा 

और कई दिन बाद उसी ईमेल पर ऐसा कुछ पढ़ा 
ये क्या है?
ये तो मैंने नहीं लिखा?
 
साईट को रिफ्रेश कर 
और फिर से जो मैंने लिखा, वही पढ़ने को मिला। 
आपके साथ भी होता है क्या, ऐसा कुछ?   
मेरे साथ तो जबसे मैंने अप्लाई करना शुरु किया है, तभी से? नहीं, नहीं, उससे भी पहले से हो रहा है। जब मैंने MDU को लिखित में शिकायत की थी, की मेरी yahoo email पर बहुत कुछ घपला चल रहा है। कभी कोई ईमेल मिलती ही नहीं और फिर वही ईमेल कहीं किसी और ही फ़ोल्डर में मिलती है। मैंने जो लिखा नहीं, ऐसा कुछ पढ़ने को मिल रहा है। वगैरह, वगैरह। 
Social Tales of Social Engineering 
और 
Social Speech of Social Engineering  
 
सिर्फ एक शब्द का अंतर है, मगर? एक ही शब्द ने जैसे सबकुछ बदल दिया ?
ऐसा भी बहुत बार लिखा है शायद मैंने? खासकर, ब्लॉग्स के बारे में?
मगर उसी वक़्त, यूँ खेलते कैप्चर पहली बार हुआ है?
ऐसा ही?   
 
कुछ-कुछ ऐसे जैसे?
यहाँ अमर जवान सिंधु ज्योति प्रजव्लित है?
तो हम यहाँ?
नर वाली शिल्प कारी घङेंगे?  
 
वो क्या कहते हैं?
AI?
Social Engineering?
Tales?
या 
Speech?
 
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके कहानी घड़ना? या समाज की घड़ाई?  
एक घड़ाई पीछे वाले घर में हो चुकी 
 और दूसरे वाली?    
अभी चल रही है।    
मगर, जिनपर चल रही है, उनको इसका abc नहीं पता। 
ये है आज की दुनियाँ, जिसमें हम आज रह रहे हैं।   
 
तो कमिश्नर साहब, मुझे अरेस्ट की स्पैम वाली धमकी की बजाय, आप खुद को और अपने जैसे तमाम अफसरों को आम लोगों के सामने अरेस्ट कराएँगे क्या? बताईये उन्हें की आप लोग, कैसा समाज और कैसे-कैसे घड़ रहे हैं? आम लोग तो आप लोगों के अद्रश्य जालों में, वैसे ही कैद हैं। झूठ तो नहीं लिख दिया कुछ?     
 
यहाँ आप लोग शब्द हर उस पार्टी के लिए है, जो ऐसे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग या दुरुपयोग करके, आज का समाज घड़ रहे हैं। अपनी-अपनी कुर्सियों और बाजार की जरुरतों के हिसाब-किताब से।