क्या आपकी दादालाही ज़मीन पर राजनीतिक पार्टियों का कोई अधिकार है? क्या वो आपकी जानकारी के बिना आपको ऐसे किसी युद्ध में धकेले हुए हैं? कब से और क्यों? क्या उस अद्श्य युद्ध की वजह से आपके लोगों को भी खा रहे हैं? या आप लोगों की ज़िंदगियाँ हराम कर रहे हैं? मगर कैसे? क्या आपकी अपनी ज़िंदगी भी राजनीतिक पार्टियों की गुलाम है? आपके ना चाहते हुए या विरोध के बावजूद?
अगर साल, डेढ़ साल के अंदर ही, किसी संदिघ्ध मौत के बाद, जहाँ वो खुद एक स्कूल बनाने वाली थी, अगर कोई पहले से वहाँ स्कूल उस ज़मीन को हड़पता है, बचे-खुचे लोगों से, बहला फुसलाकर या लालच या किसी भी तरह का डर दिखाकर या तरह-तरह के प्रेशर बनाकर, तो उसे क्या समझा जाए? वो भी उस बहन के विरोध के बावजूद। उसपर अपने स्कूल का हिसाब-किताब तक देने से आना-कानी करता है, क्यों? ऐसा क्या छिपाया जा रहा है?
इन प्रेशर में और इस सबको यहाँ तक पहुँचाने में एक बहुत बड़ा प्रेशर पॉइंट MDU है, जो चार साल Resignation के बावजूद, मेरी सेविंग पर बैठे हुए हैं। अगर सही में देखा जाए, तो ये सब किया धरा ही उनका है।
लड़कियों के अधिकार दादालाही सम्पति (Ancestral Land) पर? ऐसे हाल में तो और ज्यादा जरुरी हो गया है, इस फाइल को उठाना। आप क्या कहते हैं? वैसे भी जब से घर आई हूँ, मेरे पास ना रहने लायक घर है। जिस खंडहर में मुझे धकेल दिया गया है, वहाँ ना पानी, ना बाथरुम और ना ही बिजली। बस ऐसे ही कोई तार लटक रहा है जैसे। मुझे समझ नहीं आता, की माँ यहाँ कैसे रहती थी? तो जिस इंसान ने अपनी सारी ज़िंदगी ऐसे हालातों में गुजार दी हो, वो कहाँ से सोचेँगे की पानी, बाथरुम या बिजली जैसी जरुरतें अहम होती हैं? ऐसा नहीं है, की भाई के पास बहुत है। हालाँकि, कहने वालों ने ऐसा कहकर बहुत भड़काने की कोशिशें की। इतना कम होते हुए भी उसने जो कुछ इकठ्ठा किया है, हाँ वो जरुर अहमियत रखता है। कैसे? हालाँकि, भाई का जो घर है, दिक्कत उसमें भी बहुत हैं, उस पर कोई और पोस्ट की राजनीतिक पार्टियाँ आपके घरों में बिमारियाँ कैसे परोसती हैं। और आपको खबर तक नहीं चलती की वो ऐसा कर रहे हैं? यही गुप्त तंत्र का कमाल है, की वो अदृश्य होते हुए आपके तकरीबन सब फसैले खुद लेता है। मगर, वो सब करते हुए तो आप दिखते हैं। मतलब, गोटियाँ भर उनकी।
कहीं किसी विडियो में Ancestral प्रॉपर्टी पर जानकारी हो, तो जरुर बताएँ प्लीज। और किसी वकील की बजाय ऐसा कोई केस, अगर किसी को खुद ही लड़ना पड़े, तो क्या कुछ करना पड़ता है? Procedure Please? जाने क्यों लग रहा है, की वो ऑनलाइन वाले कोर्ट तो सो चुके हैं? हे कोर्ट्स, आप सो चुके हैं? जाग रहे हों तो, ईधर भी देख-सुन लो। अब जरुरी नहीं की आपके हर फैसले को मैं या मेरे जैसा कोई आम इंसान सही ही कहे। आखिर उसमें भी थोड़ी बहुत सोचने समझने की क्षमता तो होगी? अब बोलना भी शायद आप लोगों से ही सीखा है, तो इतना तो भुगतना पड़ेगा?
एक छोटा सा किसान, जो 2-4 किले में खेती करके अपना गुजारा कर रहा हो, वो भी ऐसी परिस्तिथियों में, जहाँ बीवी किसी बिमारी की भेंट चढ़ चुकी हो। वो जो खुद एक टीचर थी, किसी प्राइवेट स्कूल में और घर को चलाने में सहायक भी। अब ये भेंट वैसे ही है, जैसे कोरोना के दौरान कितनी ही और बिमारियों से लोगों का दुनिया को अलविदा कह जाना। जो बहुत से प्रश्न छोड़ता है, ऐसे-ऐसे खुँखार हॉस्पिटल्स पर भी और कुछ हद तक उनके डॉक्टरों पर भी। ये स्कूल के साथ वाली ज़मीन सिर्फ आधा किला नहीं था, दो भाइयों के नाम, बल्की, इस घर की लाइफलाइन थी। सबसे बड़ी बात इसकी लोकेशन, गाँव के बिलकुल पास होना। दूसरी, मीठा पानी, जो इस गाँव में कहीं-कहीं है। जहाँ कहीं यहाँ ये कॉम्बिनेशन है, वहाँ जमीने बिकाऊ नहीं होती। भूल जाओ की उनके दाम क्या हैं। उस पर राजनीतिक पार्टियों का इस पर युद्ध। क्यों? ऐसा क्या ख़ास है इसमें? राजनीतिक पार्टियों के लिए ज़मीन ही क्या, हर इंसान, हर जीव जैसे उनके जुए की गोटी भर हैं। फिर क्या सरकारी और क्या प्राइवेट? जिसकी जितनी ज्यादा चल जाए, वही अपने नाम कर लेते हैं, कोढ़ ही कोढों में। और भोले आम लोग सोचते हैं, की ये सब वो खुद कर रहे हैं? उन्हें नहीं मालूम मानव रोबॉटिक्स कहाँ तक पहुँच चुकी है। वो रिमोट कंट्रोल की तरह दूर, बहुत दूर बैठे आपको, आपके परिवार को और ज़िंदगी के हर पहलू को कंट्रोल कर रहे हैं।
तो ऐसे स्कूलों, हॉस्पिटलों या संस्थाओँ पर लगामी पर भी कुछ बात कर ली जाए? क्या कहते हैं मीडिया वाले विद्वान? तो आगे किसी पोस्ट का हिस्सा आप ही होने वाले हैं, जो इस विषय पर ज्यादा सही जानकारी या खबर चलाएँगे?
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